पाठ से

अपने घर के बरामदे में खड़े होकर छः वर्षीय विश्वेश्वरैया ने क्या देखा?


अपने घर के बरामदे में खड़े होकर 6 साल के विश्वेश्वरैया ने देखा कि आकाश में अंधेरा छाया हुआ है। कुछ ही देर में मूसलाधार वर्षा होने लगी। गड्ढे और नालियां पानी से भर गई। गली में पंक्तियों में खड़े पेड़ बारिश से धुल जाने के कारण साफ व सुंदर दिखाई दे रहे थे। पंक्तियों और टहनियों से पानी की बूंदे टप—टप गिर रही थीं। थोड़ी ही दूरी पर हरे—भरे खेत लहलहा रहे थे। निकट की नाली का पानी उमड़—घुमड़ कर रहा था। उसमें भंवर भी उठ रहे थे। वह एक बहुत बड़े पत्थर को अपने साथ बहाकर ले जा रहा था।


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